किसी वस्तु को देखने की प्रक्रिया में हमारी आंख तीन कार्य करती है।
1.यह इस प्रकार स्वयं को समायोजित करती है। जिससे की वस्तु आने वाले प्रकाश की सीमित एवं उपयुक्त मात्रा ही नेत्र में प्रवेश करें इस प्रकाश को मोड़ते हुई वस्तु का प्रतिबिंब बनती है
2. प्रतिबिंब बनने का संदेश मस्तिष्क को प्रेषित करती है जिससे मस्तिष्क इस प्रतबिंब प्रेषित करती है जिससे प्रतबिंब का अनुभव मस्तिष्क करता है।
3.उपयुक्त नेत्र के विभिन्न भागों द्वारासंपादित होते हैं जिन्हें समझने के लिए नेत्र की संरचना को जानना आवश्यक है।
नेत्र की संरचना (structure of eye)
नेत्र के सभी भाग एक गोले के भीतर होते जिसका व्यास लगभग 2.32.5 सेमी होता है
दृढ़ पटल
नेत्र गले का अधिकांश भाग एक अपारदर्शी झिल्ली से ढका रहता है इस झिल्ली को दृढ़ पटल कहते हैं।
कॉर्निया
नेत्र गोले के सामने छोटा भाग उभरा हुआ होता हैं पतली पारदर्शी जल्दी से ढका रहता है जिसे कॉर्निया कहते है।कॉर्निया में होकर ही प्रकाश नेत्र भीतर प्रवेश करता है।
आयरिस
कॉर्निया पीछे एक रंगीन हैं अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है जिसे आयरिस कहते हैं
पुतली या नेत्र तारा
आयरिस के बीच में छोटा छिद्र होता है जिसे पुतली या नेत्र तारा कहते है। नेत्र तारे का आकार आयरिस द्वारा स्वतः नियंत्रित होता है। नेत्र तारे का आकर तीव्र प्रकाश में अपने आप छोटा तथा मंद प्रकाश मैं अपने आप बड़ा हो जाता है इस प्रकार नेत्र तारा नेत्र के भीतर प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता को नियंत्रित करता है।
क्रिस्टल लेंस(Crystalline Lens)
इरिस के ठीक पीछे क्रिस्टल लेंस होता है जो मांसपेशियों के बीच में अपने स्थानपर टिका रहता है। यह एक अभिसारी उत्तल लेंस होता है। जो की मांसपेशियों की सहायता से अपनी वक्रता एवं फोकस दूरी की को समायोजित करता है। लेंस कहीं परतों से मिलकर बना होता है जिनके अपवर्तनांक भिन्न- भिन्न होते हैं, क्रिस्टल लेंस का मध्य अपवर्तनांक लगभग 1.396 होता है।
रेटिना अथवा पर्दा (Retina)
नेत्र गले के पीछे के भाग में अंदर की ओर एक पारदर्शी झिल्ली होती है, इसे रेटिना अथवापर्दा कहते हैं, नेत्र लेंस द्वारा वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना पर बनता है रेटिना पर करोड़ों प्रकाशसुग्राही सेल होते हैं जिन पर प्रकाश आपतित होने पर ये विद्युत सिग्नल उत्पन्न करते है तथा इन सिग्नलों को प्रकाश शिराओं द्वारा मस्तिष्क को प्रेषित करते हैं, यह सेल दो प्रकार के होते हैं छड़ तथा शंकु इनमें शंकु अधिक तीव्रता के प्रकाश के लिए सुग्राही होते है,