7 most important topic of biology class 12th in 2025


 topic no.1

 जिनिया एवं मेटाजिनिया (Xenia and metaxenia) 

जीनियस शब्द क प्रयोग फोक (Foeke,1981) ने किया था। बीज एवं फलों के गुण के ऊपर परागकणों के सीधे प्रभाव को जीनिया (xenia) कहते हैं। 

इसे निम्न प्रकार प्रस्तुत करते हैं- 

यदि मक्का में परागकण, पीले रंग के भ्रूणपोष वाले पौधे का हो और मादा पौधा सफेद भ्रूणपोष निर्मित करने वाला हो, तो इन दोनों है पौधों के संकरण के फलस्वरूप उत्पन्न मक्का के दानों में पीला भ्रूणपोष (endosperm) ही निर्मित होगा। अतः नर युग्मक के भ्रूणपोष की प्रकृति पर प्रभाव को जीनिया (xenia) कहते हैं।

 topic no.2


परिवार नियोजन में बाधाएँ (Hindrance in Family Planning)

 परिवार नियोजन (family planning) के कार्यक्रमों को भारत सरकार पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से क्रियान्वित कर रही है। लगातार प्रयास के बाद भी इस कार्यक्रम में  वांछित सफलता नहीं मिल पा रही हैं।

 परिवार नियोजन में आने वाली कुछ प्रमुख बाधाएँ/कमियाँ निम्नलिखित हैं- 

। 1.अशिक्षा या यौन शिक्षा की कमी के कारण सामान्य परिवार, परिवार नियोजन के महत्त्व को प्राथमिकता नहीं देता है।
 2. अंधविश्वास के कारण सामान्य परिवार, परिवार नियोजन कार्यक्रमों को अपनाने में रूचि नहीं लेता है। 

3.परिवार नियोजन सम्बन्धी सुविधाओं की उपलब्धता सुचारू रूप से देश के दूरस्थ क्षेत्रों में न पहुँचना भी परिवार नियोजन की असफलता का एक कारण है। 

Topic no.4

हॉट-स्पॉट (HOT SPOT)

 हॉट-स्पॉट वे क्षेत्र हैं, जहाँ जीवों (पौधों व जन्तुओं) में अत्यधिक विविधता पायी जाती है, और इन जीवों को संरक्षण की अत्यधिक आवश्यकता होती है।" इस प्रकार की विविधता के क्षेत्र मैगा डाइवर्सिटी जोन (mega diversity zone) कहलाते हैं। यद्यपि भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का केवल 2.4% है, फिर भी यहाँ विश्व की लगभग 8% जातियाँ पायी जाती हैं।।

Topic no.5

भारत के हॉट-स्पॉट (Hot-spot of India)

 1. पूर्वी हिमालयन हॉट स्पॉट (Eastern Himalayan Hot-spot): यह भारत के उत्तरी-पूर्वी भाग में भूटान तक फैला हुआ क्षेत्र है। यहाँ पर विशेष रूप से कुल (family) मेग्नोलिएसी (Magnoliaceae) व विन्टेरेसी (Winteraceae) के पौधे पाये जाते हैं। मुख्यतः इस क्षेत्र में शीतोष्ण जंगल (temperate forests) पाये जाते हैं। इस क्षेत्र में आदिम कुल के पौधों, जैसे- Magnolia a Betula की उपस्थिति के कारण इस क्षेत्र को पुष्पी पादपों की कई नयी जातियों के विकास का सक्रिय क्षेत्र माना गया है। यह क्षेत्र पादप प्रजातियों के संदर्भ में अत्यन्त समृद्ध है इसी कारण यहाँ स्थानीय जन्तु जातियाँ भी प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं।

 2. पश्चिमी घाट हॉट स्पॉट (Westen Ghat Hot-Spot): ये वन भारत के पश्चिमी तट से लगे लगभग 1600 km. क्षेत्र में उपस्थित हैं। इस क्षेत्र में सदाहरित वन (evergreen forests) पाये जाते हैं। यह क्षेत्र कर्नाटक, केरल एवं महाराष्ट्र राज्यों में लगभग 500 से 1,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं। जैव-विविधता के दो मुख्य केन्द्र शान्त घाटी (silent valley) तथा अगस्थयमाली (Agasthyamali) पहाड़ी है।

Topic no.6

एड्स रोग का निदान एवं उपचार (Diagnosis of AIDS and its Treatment)

 कुछ प्रतिजन प्रोटीन्स (antigenic proteins) संक्रमित T लिम्फोसाइट्स में HIV के कुछ जीन्स के नियन्त्रण में संश्लेषित होकर रुधिर में मुक्त (release) होती रहती हैं। समय से इनका निष्क्रिय होना आवश्यक होता है। इसलिए शरीर के प्रतिरक्षण तन्त्र में आवश्यक प्रतिरक्षी प्रोटीन्स निर्मित होती हैं। रुधिर में HIV के संक्रमण व प्रतिरक्षी प्रोटीन्स का पता सीरमी जाँच (serological test) से होता है, इसके लिए एलिसा (ELISA) किट का आविष्कार हुआ। इस किट का पूरा नाम एन्जाइम सहलग्न प्रतिरोधी-शोषक जाँच किट (Enzyme Linked Immunosorbent Assay Kit) है। एलिसा टेस्ट को पुनः सत्यापित करने के लिए वैस्टर्न ब्लॉट (Western Blot) नामक किट भी उपलब्ध है। संसार भर में वैज्ञानिक एड्स नामक महामारी के संक्रमण की पुष्टि व बचाव के उपायों पर रात-दिन काम कर रहे हैं-

Topic no.7

शुक्राणु की संरचना (Structure of Sperm)

 प्रत्येक शुक्राणु सक्रिय एककोशिकीय, पतला, धागे के समान होता है। शुक्राणु उत्तेजित होकर गतिशील हो जाते हैं। शुक्राणु का शरीर तीन भागों में बटा होता है- (i) सिर, (ii) मध्य भाग, (iii) पुच्छ। 

1. शीर्ष या सिर (Head): यह शुक्राणु के अग्रछोर पर स्थित फूला हुआ लम्बा, बेलनाकार होता है। इसमें एक लम्बा-सा केन्द्रक होता है। केन्द्रक के आगे का उभार एक्रोसोम (acrosome) कहलाता है।

2.मध्य भाग (Middle Part): यह भाग शीर्ष के ठीक पीछे अपेक्षाकृत छोटा और अस्पष्ट होता है। इस भाग में एक या दो बिन्दु के समान सेन्ट्रिओल (centrioles) तथा माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) होते हैं। सेन्ट्रिओल से एक महीन कशाभिका (axial filament) निकलकर शुक्राणु के पूरे शरीर से होता हुआ अन्तिम भाग में पहुँचकर पूँछ निर्मित करता है। माइटोकॉण्ड्रिया से एक सर्पिल माइटोकॉण्ड्रियल खोल (mitochondrial sheath) निर्मित होता है। 

3. पूँछ (Tail) : यह शुक्राणु का पश्च या अन्तिम भाग है जो जीवद्रव्य की झिल्ली से निर्मित नलिकाकार संरचना होती है। इसके मध्य रेखा में एक पतला अक्ष सूत्र (axial filament) होता है। पिछले भाग में झिल्ली नहीं होती, केवल नग्न सूत्र होता है। इस नग्न सूत्र को अन्तिम भाग (end piece) कहते हैं। अन्तिम भाग कशाभ (flagellum) की भाँति होता है। जिसके द्वारा शुक्राणु तरल माध्यम में तैरता है। 



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