भ्रूण का निर्माण कैसे होता है , संक्षिप्त जानकारी



 गैस्टुला के उपरान्त भ्रूण परिवर्धन (Post Gastrulation Embryonic Development) 


मानव में निषेचन के पश्चात सामान्यतः गर्भकाल 266 दिन या 9 माह का होता है। सम्पूर्ण गर्भकाल को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1. प्रथम त्रैमाही (First trimester) : भ्रूण में अंग निर्माण की प्रक्रिया गैस्टूला निर्माण के पश्चात् प्रारम्भ हो जाती है।
केंद्रक की संरचना तथा केन्द्रक के भाग

 सर्वप्रथम तंत्रिका पट्ट (neural; plate) से तंत्रिका नाल (neural canal) का निर्माण होता है, परिणामस्वरूप मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु निर्मित होते हैं। नोटोकॉर्ड (notochord) का निर्माण तंत्रिका नाल के ठीक नीचे होता है। ठीक इसी समय हृदय, रुधिरवाहिनियाँ, आहारनाल एवं अन्य विभिन्न अंगों का निर्माण भी प्रारम्भ हो जाता है। भ्रूण में सभी अंग तंत्रों के निर्माण की प्रक्रिया भ्रूण के चार सप्ताह की आयु तक प्रारम्भ हो जाती है। 


भ्रूण में जनदों (gonads) का निर्माण बोली छठें सप्ताह में प्रारम्भ हो जाता है। दो माह पूरा होने के पश्चात मानव भ्रूण को फीटस (foetus) कहते हैं। यह समय भ्रूणीय विकास का सर्वाधिक संवेदनशील काल है। 

 2. मध्य या द्वितीय त्रैमाही (Mid or second trimester) : 

अस्थिल कंकाल (bony skeleton) का निर्माण चौथे माह में प्रारम्भ हो जाता है, साथ ही शरीर के ऊपर एक रक्षात्मक आवरण (protective covering) का निर्माण भी हो जाता है।

 पाँचवें माह में भ्रूण (foetus) के सिर पर बाल (hairs) आ जाते हैं तथा सम्पूर्ण शरीर पर भी महीन/मुलायम बाल लैनूगो (lanugo) आ जाते हैं। भ्रूण/फीटस की समस्त रचनाएँ व अंग छठें माह तक पूर्ण निर्मित हो जाते हैं। यह मानव का एक छोटा रूप धारण कर लेता है तथा भ्रूण हृदय की धड़कन को माँ के उदर के ऊपर से सुना जा सकता है। 

किसी कारणवश (उत्तेजना/दुर्घटना के कारण) यदि भ्रूण/फीटस गर्भाशय से बाहर आ जाता है तो वह हाथ-पैर चलाता है, साँस लेने का प्रयास करता है एवं रोता भी है। भ्रूण/फीटस कुछ ही समय में मर जाता है। यह समय भ्रूण/फीटस के लिए अति हानिकारक (crucial) होता है। 



3. अन्तिम त्रैमाही (Last trimester) : 

गर्भकाल के अन्तिम त्रैमाही में मानव भ्रूण/फीटस के आकार एवं भार में शीघ्रता से वृद्धि होती है। मस्तिष्क, नवीन तंत्रिकाओं एवं उनके आपसी सम्बंध विकसित/निर्मित होते हैं। माता से प्रतिरक्षी इस काल में भ्रूण/फीटस को प्राप्त होते हैं जिनसे परिवर्धनशील शिशु को प्रतिरक्षण प्राप्त होता है। जन्म से पूर्व अधिकांश शिशुओं में शरीर के ऊपर के बारीक/मुलायम बाल लैनूगो (lanugo) समाप्त/नष्ट हो जाते हैं। 

इसी समय भ्रूण/फीटस में पकड़ने व चूसने के प्रतिवर्त (reflexes of grasping and sucking) का विकास होता है। आठवें माह से भ्रूण में वसा का जमाव होने लगता है और उसके शरीर का विकास लगभग पूर्ण हो जाता है। 

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