मानव में होने वाले कुछ यौन सम्बन्धी रोगों का विवरण निम्नलिखित हैं-
1. जननांगों की हर्पीस (Genital Herpes)
यह रोग हर्पीस सिम्पलैक्स वायरस (herpes simplex virus-HSV-2) द्वारा फैलता है।
रोग के लक्षण (Symptoms of disease)
हर्पीस रोग से ग्रसित पुरुष के शिश्न (penis) में असहनीय पीड़ा होती है। स्त्री की वल्वा (vulva) एवं योनि (vagina) में छाले निर्मित हो जाते हैं और अत्यधिक पोड़ा होती है। रोग का उपचार (Treatment of disease) यद्यपि इस रोग का कोई प्रभावी व निश्चित उपचार ज्ञात नहीं है, राहत के लिए केवल कुछ दर्द निवारक औषधियों जैसे- एसाइक्लोविर व अन्य औषधियों के सेवन की सलाह दी जाती है, साथ ही लैंगिक संयम अपनाने के लिए कहा जाता है।
2. गोनोरिया (Gonorrhoea)
गोनोरिया रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मैथुन क्रिया के द्वारा फैलने वाला रोग है। इस रोग का कारक निसेरिया गोनोरिआई (Neisseria gonorrhoeae) नामक जीवाणु होता है।
रोग के लक्षण (Symptoms of diseas)
रोग के संक्रमण का स्त्री में कोई प्रभाव नहीं होता है अपितु ये वाहक का कार्य करती हैं। संक्रमित पुरुष के मूत्रमार्ग (urethra) में जलन की शिकायत होती है और सूजन आ जाती है। मूत्र की अम्लीयता के अनुरूप जलन कम या अधिक हो सकती है। इस रोग का संक्रमण प्रोस्टेट ग्रन्थि एवं मूत्राशय तक फैल जाता है। शिश्न के अग्र भाग पर पीले-हरे रंग का विवर्जन दिखलाई देता है। रोग का उपचार (Treatment of disease) रोगी का प्रतिजैविक औषधियों (antibiotics) का सेवन कराया जाता है।
3. उपदंश (Syphilis)
सिफिलिस रोग ट्रेपोनेमा पैलिडम (Treponema pallidum) नामक जीवाणु द्वारा होता है।
रोग के लक्षण (Symptoms of disease):
इस रोग के संक्रमण के 10 दिन पश्चात शिश्न पर लाल रंग के दाने स्पष्ट दिखाई देते हैं, जो कुछ सप्ताह पश्चात विलुप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार के लाल दाने स्त्री की लेबिया व योनि में भी दिखाई देते हैं। संक्रमण के एक से छः माह पश्चात स्त्री-पुरुष के समस्त शरीर पर चकत्ते पड़ जाते है। इसका प्रभाव हृदय, यकृत, अस्थियों एवं मस्तिष्क पर भी पड़ता है, जिससे शरीर को लकवा मार सकता है। रोग का उपचार (Treatment of disease): पेनिसिलिन नामक प्रतिजैविक (penicillin antibiotic) द्वारा इस रोग का उपचार किया जाता है।
4. ट्राइकोमोनिआसिस या वेजिनाइटिस (Trichomoniasis or Vaginitis):
यह रोग एक प्रोटोजोऑन ट्राइकोमोनास वेजिनेलिस (Trichomonas vaginalis) द्वारा होता है। यह प्रोटोजोआ स्त्री की योनि में पाया जाता है। यह रोगवाहक पुरुष के मैथुन करने से फैलता है।
रोग के लक्षण (Symptoms of disease):
इस रोग से पीड़ित स्त्री की योनि में प्रदाह, खुजली व जलन होती है और योनी से सफेद रंग का बदबूदार पानी स्त्रावित होता रहता है, जिसे ल्यूकोरिया कहते हैं। इस रोग में स्त्री व पुरुष दोनों का एक साथ उपचार करना आवश्यक होता है। (ii) प्रायः पुरुषों में इस रोग के लक्षण दर्शित नहीं होते हैं किन्तु कभी-कभी यह रोग शुक्रनलिकाओं व प्रोस्टेट (पौरूष) ग्रन्यि तक पहुँच जाता है जिससे सूजन व दर्द होता है। रोग का उपचार (Treatment of disease) : इस रोग से पीड़ित स्त्री व पुरुष का उपचार प्रतिजैविक औषधियों, जैसे- टेरामाइसिन (Teramycin) व ऑरियोमायोसिन (Aureomycin) एवं मेट्रानिडाजोल (Metranidazole) आदि को खिलाकर किया जाता है।
आर्सेनिक - रोग हर्पीस आयोडीन (arsenic iodine)
युक्त औषधियों के प्रयोग द्वारा भी इस रोग का उपचार किया जाता है। फैलता है। रोग से ग्रसित त्री की वल्वा 5. जमजुई (Pubic louse): यह रोग एक परजीवी जूँ (parasitic louse) फ्थीरस प्यूबिस (Pthirus pubis) द्वारा होता है। इस रोग में और अत्यधिक प्यूबिस के बाल नष्ट हो जाते हैं। इस रोग का संक्रमण रोगी के निकट सम्पर्क, चादर, कपड़े, या कम्बल आदि के साझा उपयोग से होता है। इस रोग का ए केवल कुछ औषधियों के पनाने के लिए
रोग के लक्षण (Symptoms of disease) :
प्यूबिक भाग में लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं और खुजली होती है।