थायरॉइड ग्रंथि मनुष्य की गर्दन में श्वास नली वा स्वर यंत्र के संधिस्थल पर अधर पार्श्व तल पर स्थित होती हैं
संरचना
थायरॉइड ग्रंथि भूरी लालसी H या तितली के आकार की सबसे बड़ी द्विपलिमय अन्तःस्त्रावी ग्रंथि होती है । ग्रंथि की दोनों पलिया श्वास नली के इधर-उधर स्थित होती है तथा संयोजी ऊतककी बनी एक अनुप्रस्थ पट्टी से जुड़ी होती हैं जिसे संयोजक या इस्थमस कहते हैं,मनुष्य में थायराइडग्रंथि कुल 5 सेंटीमीटर लंबी तथा 3 सेंटीमीटर चौड़ी होती है। इसका कुल भार 30से 35 ग्राम होता है यह ग्रंथि बाहर से एक संपुट से घिरी रहती है जो संयोजी ऊतक की दो परतों का बना होता है
थायरॉइड ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन
मानव भोजन के साथ प्रतिदिन 100 से 200 माइक्रोग्राम आयोडीन ग्रहण करता है आवश्यकता से अधिक आयोडीन मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाती थायरॉइड ग्रंथि में 10 से 15 मिलीग्राम आयोडीन रहती है इस ग्रंथि की पुटिकाओं की कोशिकाएं रुधिर में आयोडीन का संचय करती हैं। और पुटिकाओं की गुहा में आयोडीन को अबमुक्त करती हैं। यह आयोडीन थायरोग्लोबुलीन में पाए जाने वाले अमीनो अम्ल टायरोसीन से बंधकर निम्न हारमोंनस का निर्माण करती उन्हें रुधिर से मुक्त करती है ।
Thyroxine or tetraiodothyronine T4
इस हारमोंस में 65 से 90% तक आयोडीन की मात्रा होती है।
TriiodothyronineT3
इस हारमोंन में 10 से 35% तक आयोडीन की मात्रा होती है
थाइरॉक्सिन हार्मोन के कार्या
यह हार्मोन शरीर की स्वास्थ्य वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है उदाहरण- यदि मेंढक के भेखशशु की थायराइड ग्रंथि को निकाल दिया जाएतो यह वयस्क मेंढक में रूपांतरित नहीं हो पाएगा और शिशु प्रावस्था में ही जनन अंग विकसित हो जाएंगे इस प्रक्रिया को पीडोजेनेसिस या निओटीन कहते है इसे सर्वप्रथम इसे (Gudernatsch,1912) , ने प्रयोग द्वारा सिद्ध किया
यह हार्मोन तंत्रिका तंत्र की कार्य क्षमता को बढ़ाता है
यह हार्मोन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का नियमन करता है
यह शरीर ताप को नियंत्रित करता है
एंजाइम एवं प्रोटीन के संश्लेषण को बढ़ाता है
यह हार्मोन मेटाबॉलिज्म नियंत्रण की तरह कार्य करता है।
यह ग्लूकोस के अवशोषण कोशिकाओं में ग्लूकोज की खपत दर को प्रभावित करता है।
इसे कैलोरिजन हार्मोन भी कहते हैं या शरीर में ऑक्सीकरण प्रक्रियाओं की गति को तेज करता है, जिसके फलस्वरुप ऊर्जा (ATP) का अधिक उत्पादन होता है, अधिक एटीपी बनने के साथ साथ शरीर का तापमान भी बढ़ता है।
यह हार्मोन शरीर में मस्तिष्क वर्षण पिल्हा एवं रेटिना के अतिरिक्त सभी अंगों की कोशिकाओं में माइक्रो कंडिया की संख्या एवं उनकी माप में वृद्धि करताहै
थायरॉक्सी का अल्प स्त्रावण
आवश्यकता से कम मात्रा में थायरॉक्सीन के स्त्राव कई कर्म से होता है जैसे भोजन में आयोडीन की कमी के कारण किसी या किसी अनुवांशिकी दोष के कारण यह मूत्र में आयोडीन की का अधिकमात्रा में उत्सर्जित होने के कारण इसकी कमी से निम्न रोग उत्पन्न होते है
जड़वामनता (Cretinism)
थाइरॉक्सिन की कमी से यह रोग होता है,इस रोग से पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से कम विकसित होते है।एवं कुरूप हो जाते है,ओर कुछ बौने भी रह जाते है, इन बच्चों के होंठ मोटे तथा पेट सामान से अधिक बाहर निकले हुए होते हैं इनमें जननांग अल्प विकसित तथा त्वचा सूखी व अपेक्षाकृत मोटी हो जाती है। यह बच्चों में आधार उपापचाई दर के घटने से होता है इसके फल स्वरुप शरीर के ताप तथा हृदय कि दर में गिरावट आ जाती है।
सामान्य घेंघा रोग
थायरॉइड ग्रंथि के फूल कर बड़ी हो जाने को घेंघा रोग कहते है, भोजन में आयोडीन की कम मात्रा उपलब्ध होने पर शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है फलस्वरुप थायराइडग्रंथि थाइरॉक्सिन का अधिक स्त्राव करने के लिए आकार में बड़ी हो जाती है और इसी कमी का पूरा करने का प्रयत्न करती है इस असाधारण वृद्धि से गर्दन भी फूलकर मोटी हो जाती है,
मिक्सीडेमो (Myxoedema)
इस हार्मोन्स की कमी से वयस्कों में यह रोग हो जाता है इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा ढीली वा फुल जाती है। आवाज़ धीमी व भारी हो जाती है तथा त्वचा के नीचे वास एवं श्लेष्मा का जमाव अधिक हो जाने के कारण मोटा स्बतर बन जाता है इनका शरीर कमजोर भद्दा सा होठ पलके मोटी दिखाई देती इनके रुधिर दाब तथा उपापचय दर में गिरावट आ जाती है इनकी जनन क्षमता समाप्त हो जाती है मस्तिष्क की कार्य क्षमता भी कमजोर हो जाती है
Hashimoto
अत्यधिक अल्प स्त्राव से होता है इस स्थिति में थायरोक्सिन स्त्राव को बढ़ाने के प्रयत्न स्वरूप दी गई औषधीय शरीर में विश्व का काम करने लगते हैं अर्थात विजातीय पदार्थ के समान व्यवहार करने लगतीहैं अतःइन्हें नष्ट करने के लिए शरीर में प्रति विष का निर्माण प्रारंभ होता है जिसे स्वयं थायरॉइड ग्रंथि नष्ट हो जाती इस रोग को Hashimoto रोग कहते हैं इसे थायराइड की आत्महत्या भी कहते हैं
उपचार-इस रोग का उपचार कृत्रिम रूप से किया जाता है भोजन में आयोडीन युक्तनमक सेवन करके आयोडीन की मात्रा बढ़कर पूरा किया जासकता है।