Biology important topic 2025 in bord exam
सहलग्न्ता और जीन विनिमय (LINKAGE AND CROSSING OVER
सहलग्नता किसे कहते हैं
गुणसूत्रों पर उपस्थित अनेक जीन्स (genes) ऐसी होती है जो कभी अलग नहीं होती तथा अर्धसूत्री विभाजन के बाद भी एक साथ बने रहती हैं, और एक साथ वंशागति (inheritance) प्रदर्शित करते हैं, इस दशा को सहलग्नता (linkage) कहते हैं तथा एक प्रकार के गुणसूत्र पर रेखीय क्रम में स्थित जीन्स के समूह को लिन्केज समूह (linkage groups) कहते हैं।
जीन विनिमय किसे कहते है (crossing over)
जीन विनिमय या पारगमन (Crossing Over) समजात गुणसूत्रों (homologous chromosome) के परस्पर जुड़े हुए क्रोमैटिड्स के बीच एक या अधिक खण्डों की पारस्परिक अदला-बदली (reciprocal exchange) अर्धसूत्री विभाजन की पैकिटीन अवश्स्था में होती हैं। खण्डों की इस अदला-बदली को जीन विनिमय (crossing over) कहते हैं।
लिंकेज किसे कहते हैं
लिन्केज (linkage) शब्द का प्रयोग सटन और बोवेरी (Sutton and Boveri) ने सन् 1903 में किया था। मॉर्गन (Morgan, 1910-11) ने फलमक्खी ड्रोसोफिला मेलेनोगैस्टर (Drosophila melanogaster) पर कार्य किया तथा "लिन्केज का गुणसूत्रीय सिद्धान्त" (Chromosomal Theory of Linkage) प्रस्तुत किया।
Chromosomal Theory of Linkage
उन्होंने सामान्य रंग व सामान्य पंख (BV) तथा काला रंग व अवशेषी पंखों वाली ड्रोसोफिला मक्खियों के बीच क्रॉस कराया। F₁ पीढ़ी में सभी मक्खियाँ सामान्य रंग व सामान्य पंखों वाली थी, क्योकि इन दोनों लक्षणों की जीन्स (BV) प्रबल है तथा काले रंग व अवशेषी अंगों की जीन्स (क्रमशः b av) दुर्बल है। इसके बाद उन्होंने F के सामान्य रंग व सामान्य पंख वाली संकर (BVbv) मक्खियों को काले रंग व अवशेषी पंख (bbvv) वाली मक्खियों से क्रॉस कराया।
मेण्डल के अनुसार F2 पीढ़ी में बनी मक्खियों में 1:1:1:1 का अनुपात होना चाहिए था परन्तु ऐसा न होकर जनक प्रकार (parental types) तथा नए प्रतिसम्मिरण दृश्यरूप (new recombinant phenotypes) 83: 17 में प्राप्त हुए। यदि जनक दृश्यरूप का अनुपात 50% से अधिक आता है तो यह जीन्स के बीच सहलग्नता (linkage) इंगित करता है। अतः यहाँ पर कहा जा सकता है कि सामान्य शरीर व सामान्य पंखों के लक्षणों की जीन्स तथा काले रंग व अवशेषी पंखों की जीन्स ने, सहलग्न रूप से द्विसंकर क्रॉस में प्रतिभाग किया है
लिन्केज के प्रकार (Types of Linkage)
लिन्केज के प्रकार (Types of Linkage) लिन्केज या सहलग्नता (Complete Linkage) जब एक गुणसूत्र पर उपस्थित लिन्केज जीन अर्धसूत्री विभाजन के समय अलग नहीं होती हैं तो इससे अगली पीढ़ी में पैतृक प्रकार के ही लक्षण मिलते हैं। इस प्रक्रिया को पूर्ण लिन्केज (complete linkage) कहते हैं।
2. अपूर्ण लिन्केज (Incomplete Linkage):
जब समजात गुणसूत्रों (homologous chromosomes) के बीच जीन विनिमय (crossing over) की क्रिया हो जाती है तो इससे अगली पीढ़ी की सन्तानों में पैतृक (parental) तथा पुनर्संयोजित (recombinant) दोनों ही प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस प्रक्रिया को अपूर्ण लिन्केज (incomplete linkage) कहते हैं। इससे समजात गुणसूत्रों का DNA समजात पुनर्सयोजित डीएनए (homologous recombinant DNA) बन जाता है। इससे अगली पीढ़ी की सन्तानों में नए लक्षण उत्पन्न होते हैं जिन्हें पुनर्संयोजित लक्षण (recombinant characters) कहते हैं। जीन विनिमय की क्रिया अर्धसूत्री विभाजन (meiotic division) में प्रथम मध्यावस्था की उपअवस्था पैकिटीन (pachytene) में प्रारम्भ होती है और डिप्लोटीन (diplotene) तक पूर्ण हो जाती है।
जीन विनिमय के प्रकार (Types of Crossing Over)
जीन विनिमय के प्रकार (Types of Crossing Over) जीन विनिमय निम्न तीन प्रकार के हाते हैं- 1. एकल जीन विनिमय (Single Crossing Over) : जब जीन विनिमय के समय गुणसूत्र की पूरी लम्बाई पर केवल एक स्थान पर बनता है।
2. डबल जीन विनिमय (Double Crossing Over) : जब जीन विनिमय के समय गुणसूत्र की पूरी लम्बाई पर दो स्थानों पर किऎज्मा बनते हैं।
यह दो प्रकार का होता है- (i) पारस्परिक (reciprocal) क्रासिंग ओवर (ii) सम्पूरक (compementary) क्रासिंग ओवर
3. बहुजीन विनिमय (Multiple Crossing Over)
बहुजीन विनिमय (Multiple Crossing Over) :जब गुणसूत्र की पूरी लम्बाई पर दो से अधिक स्थानों पर जीन की अदला-बदली होती हैं।प्रकृति में यह क्रिया अत्यन्त विरल (rare) है।
क्रासिंग ओवर का महत्त्व (Significance of Crossing Over)
क्रासिंग ओवर का महत्त्व (Significance of Crossing Over) 1. क्रॉसिंग ओवर से सिद्ध होता है कि जीन्स एक लाइन में विन्यसित होते हैं।
2. क्रॉसिंग ओवर की सहायता से गुणसूत्रों के सहलग्न मानचित्र (linkage maps) बनाना सम्भव हो सका है। मानचित्र एक सहलग्न समूह के सभी जीन्स के बीच की आपेक्षिक दूरी को पुनयोंजन की प्रतिशतता के रूप में प्रदर्शित करते हैं। ड्रोसोफिला एवं मक्का के गुणसूत्रों के सहलग्न मानचित्र तैयार किये जा चुके हैं।
3. क्रॉसिंग ओवर के फलस्वरूप नये जीन-संयोग बनते हैं जिससे किसी समष्टि के जीन पूल में जीन आवृत्ति का परिवर्तन हो जाता है। यह क्रिया जातियों के विकास में अति सहायक होती है।
मनुष्य में लिंग सहलग्न गुण व इनकी वंशागति
SEX LINKED CHARACTERS AND THEIR INHERITANCE IN MAN
लिंग सहलग्न गुण (Sex Linked Characters) कुछ जन्तुओं एवं मानव लक्षणों के जीन्स उपस्थित होते हैं परन्तु जति एवं व्यापक लैंगिक द्विरूपता (sexual dimorphism) के कारण बहुत से ऑटोसोमल जीन्स (autosomal genes) भी लेगिक विभेदीकरणको प्रभावित करते हैं।लिग लक्षणों के साथ-साथ कुछ दैहिक लक्षणों के जीन्स भी उपस्थित होते हैं ये ही (देहिक) जीन्स लिग गुणसूत्रों से सहलरन (linked) रहते हुए पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते है।
इन्हें लिग सहलग्न गुण (sex linked character), इन जीन्स को लिग सहलग्नी एवं इनको वंशागति को लिग सहलग्न वंशगत (sex linked inheritance) कहते हैं। इस प्रकार की वंशागति की खोज टी०एच० मार्गन (TH.Morgan 1910-11) ने ड्रोसोफिला मक्खी पर अपने प्रयोगों द्वारा की।
लिग सहलग्न लक्षणों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
1. XX सहलग्न(XY-linked characters): इन लक्षणों के ओन्स X एवं गुणसूत्र के समजात (homologous) खंडों पर ऐलील्स के रूप में होते हैं। इन्हें अपूर्ण निहलानी गुण कहते हैं। इनकी वंशागति (unheritance) पुरुष एवं स्त्रियो में सामान्य ऑटोसोमल लक्षणी या गुणों की तरह होती है. उदाहरण नेफ्राइटिस (Nephritis) एक लुक्कों का रोग एवं पूर्ण वधता की वंशागति।
1. साइकिल (Diandric X-linked characters) के जीन्स सूत्र के सात (non- homologous) भाग पर विद्यमान होते है ए-गुणसूत्र पर इनका ऐलील (allele) या विकल्पी नहीं पाया जाता। इन्डिक लिग सहलम्नी गुण भी आते है। ये जीन्स पुत्रों को केवल माता से तथा पुत्रियों को माता एवं पिता दोनो से हो मिलते है। मनुष्य में ज्यादातर लिग सहलग्न गुण
X-सहलग्न ही पाये जाते हैं, उदाहरण वर्णान्धता (colour blindness) एवं हीमोफीलिया (haemophilia)1
3. होलैन्ड्रिक Y-सहलग्न (Holandric Y-linked characters):
ये जीन्स Y-गुणसूत्र के असमजात खंड पर उपस्थित होते हैं अतः X-गुणसूत्र पर इनका ऐलील (allele) नहीं पाया जाता। ये लक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी सीधे पिता से पुत्र में पहुँचते रहते हैं। इन्हें होलैन्ड्रिक जीन्स (holandric genes) एवं इनकी वंशागति को होलैन्ड्रिक वंशागति (holandric inheritance) कहते हैं, उदाहरण- पुरुषों में कर्ण पल्लवों (car pinnae) पर लम्बे-लम्बे तथा मोटे बालो की उपस्थिति एक ऐसा ही लक्षण है। कर्णपल्लवों की हाइपरट्राइकोसिस (hypertrichosis of ears)!
सहलग्नता किसे कहते हैं
crossing over kya hai
सहलग्नता की परिभाषा प्रकार एवं महत्व
drosophila crossing over
लिन्केज के प्रकार।
chromosome theory of linkage
लिंकेज किसे कहते हैं
वंशागति की खोज किसने की
Holandric Y-linked characters
XY-linked characters
क्रासिंग ओवर का महत्त्व (Significance of Crossing Over)
अपूर्ण लिन्केज किसे कहते हैं