धमनी तथा शिरा के कार्य,धमनी तथा शिरा में 9 अंतर, केशिकाएं क्या होती है।

 रुधिर वाहिनियाँ (Blood Vessels) 



हमारे शरीर के अन्दर नलिकाओं (वाहिनियो) के माध्यम से रुधिर प्रत्येक कोशिका तक पहुँचता है, जिनके फलस्वरूप ऑक्सीजन (02), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) एवं पोषक पदार्थों का भी संवहन होता है।                                    शरीर में ऑक्सीकृत(oxygenated) रुधिर व अनॉक्सीकृत (deoxygenated) रुधिर अलग-अलग वाहिनियों में बहता है। इस आधार पर रुधिर वाहिनियों को निम्न तीन वर्गों में बाँटा गया है

1. धमनी (Artery)

2.शिराएं (Veins)

3.कोशिकाएं ( Capillaries)


धमनी  तथा धमनी के कार्य (Artery) 


धमनी के कार्य,धमनियाँ रुधिर को हृदय से अंगों की ओर ले जाती हैं। सभी धमनियाँ आपस में जुड़कर धमनी तन्त्र (Arterial system) का निर्माण करती हैं। धमनियों में रुधिर अत्यधिक दाब के साथ बहता है, इस दाब को सहन करने हेतु धमनियों की दीवार अपेक्षाकृत मोटी होती हैं। इनकी गुहा संकरी होती है। सभी धमनियों में अक्सीकृत रुधिर बहता है। अपवाद स्वरूप फुफ्फुसीय धमनियों (pulmonary artery) में अनॉक्सीकृत रुधिर बहता है। सबसे मोटी धमनी को महाधमनी (aorta) कहते हैं, हृदय द्वारा रुधिर इन्हीं महाधमनी में पम्प किया जाता है। इस महाधमनी का नाम दैहिक अथवा महाधमनी चाप (aortic arch or systematic arch) है। हृदय से फेफड़े को रुधिर ले जाने वाली महाधमनी फुफ्फुसीय चाप कहलाती है। महाधमनी कई शाखाओं में बँट कर धमनियों में विभाजित होती है। धमनी पुनः शाखित होकर धमनिका (arterioles) में बँट जाती हैं। मानव शरीर में कुछ जगहों पर धमनियाँ गहराई से उठकर ऊपर आ जाती हैं। यहाँ इनमें हम स्पन्दन (pulsation) को महसूस कर सकते हैं इन स्थानों पर इन्हें हम नाड़ी (pulse) कहते हैं; उदाहरण-हमारे शरीर के कलाई वाले भाग में अँगूठे के नीचे नाड़ी रहती है।

शिराएं तथा शिराएं के कार्य (Veins) 


 तथा शिराएं (Veins)  में आनाऑक्सिकारित रूधिर बहता है । अपवाद स्वरूप फुफुसिय शिरा (pulmonary vein) में शुद्ध रुधिर बहता है। शिराए  के कार्य ऑक्सीजन रहित खून को पूरे से एकत्र करके हार्ड में वापस लाती है। इनमे उपस्थित कपाट (valve) रुधिर को वापस जाने से रोक देती है। जब इनमे खून नही होता तो ये चिपक जाती है। शिराओ की दीवारों में पेशी (muscle) वा इलास्टटीन ( elastin) तंतु बहुत कम होते है इनका बाहरी स्तर सबसे अधिक विकसित होता है।सभी शिराए आपस में मिलकर शिरातंत्र का निर्माण करती है। शरीर की कोशिका में रुधिर कोशिका का जाल सा फैला रहता है।इनके धमनी सिरा से पोसक पदार्थ छन कर ऊतक द्रव में पहुंचता है और कोशिकाओं द्वारा उपयोग किया जाता है। तथा इनके शिरा सिर (venous end) पर बेकार उत्सर्जी पदार्थ एकत्र करके शिरिकाओ (venules)में डाल दिया जाता है। ये शिरिकाए आपस में मिलकर महाशिरा का निर्माण (venacava)  करती है।


3. केशिकाएँ तथा कोशिकाओं के कार्य (Capillaries) 


रुधिर केशिकाएँ धमनियों को शिराओं से जोड़ती हैं। एक मध्य धमनिका में 10-100 केशिकाओं का समूह होता है, जिसको केशिका बैड कहते हैं। रुधिर केशिकाओं का व्यास 7.5µm-75µm तक होता है। इनमें सम्पूर्ण रुधिर का केवल 5-7% रुधिर होता है। केशिकाओं में केवल सबसे आन्तरिक स्तर ही पाया जाता है। केशिकाओं की संख्या मानव शरीर में लगभग 10 अरब होती है इनकी गुहा चौड़ी होती है। शिराओं में थोड़ी-थोड़ी दूर पर कपाट उपस्थित होते हैं जो रुधिर को वापस नहीं जाने देते। फुफ्फुस शिरा के अतिरिक्त सभी शिराओं में अशुद्ध रुधिर मिलता है। इनमें रुधिर का बहाव धीमा परन्तु लगातार होता है। इनकी दीवार पतली होती है और ये खाली होने पर पिचक जाती हैं। रुधिर केशिकाओं की खोज मार्सेलो मैल्पीघी (Marcello Malpighi) ने सन 1661 में की थी। (ii) रुचिर वाहिनियों को स्वयं की दीवारों की कोशिकाओं के लिए भी रुधिर की आवश्यकता होती है। यह रुधिर विशेष वाहिनियों द्वारा दीवारों तक पहुँचता है, जिन्हें बासा वैसोरम (vasa vasorum) कहते हैं। 



धमनी तथा शिरा में 9 अन्तर 

धमनी (Artery)

1.धमनी ये शुद्ध रुधिर को हृदय से दूर ले  जाती हैं।

2. इनका रंग गुलाबी या चटक लाल होता है।

3.धमनियाँ गहराई में स्थित होती हैं।

4.इनमें रुधिर दाब अधिक होता है।

5. इनकी गुहा संकरी होती है।

6.इनमें कपाट नहीं होते हैं। 

7. फुफ्फुस धमनी के अतिरिक्त सभी धमनियों में शुद्ध रुधिर बहता है। 

8. इनमें रुधिर का बहाव तेज परन्तु रुक-रुक कर होता है। 

9. इनकी दीवार मोटी होती है और ये रुधिर के न होने पर भी पिचकती नहीं हैं।


शिराएं  (Veins) 


1.ये अशुद्ध रुधिर को शरीर से हृदय जाती हैं।

2.शिराएं (Veins) गहरे रंग या नीले-बैंगनी रंग की होती है। 

3.इनमें रुधिर दाब कम होता है।

4.शिराएं सतही होती हैं।

5.इनकी गुहा चौड़ी होती है।

6.शिराओं में थोड़ी-थोड़ी दूर पर कपाट उपस्थित होते हैं जो रुधिर को वापस नहीं जाने देते

7.फुफ्फुस शिरा के अतिरिक्त सभी शिराओं में अशुद्ध रुधिर मिलता है।

8.इनमें रुधिर का बहाव धीमा परन्तु लगातार होता  रहता है।

9.इनकी दीवार पतली होती है और ये खाली होने पर पिचक जाती हैं।

 



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