परमाणु (Atom)
परमाणु की परिभाषा डाल्टन के परमाणुवाद के अनुसार, परमाणु तत्व का वह छोटे से छोटा अविभाज्य कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है। आधुनिक विचारों के आधार पर (आधुनिक परमाणुवाद)परमाणु तत्व का वह छोटे से छोटा कण है जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है परन्तु स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford's Atomic Model)
अरनेस्ट रदरफोर्ड को यह जिज्ञासा थी कि इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर कैसे व्यवस्थित हैं। उन्होंने एक प्रयोग किया।
उन्होंने रेडियोऐक्टिव तत्वों से प्राप्त -कणों की भिन्न-भिन्न धातुओं के परमाणुओं पर बौछार करके देखा कि -कण अपने मार्ग से विभिन्न दिशाओं में विक्षेपित हो जाते हैं। -कणों के इस प्रकार से अपने मार्ग से विक्षेपित होने की घटना को रदरफोर्ड का ऐल्फा-कणों का प्रकीर्णन कहते हैं।
(Rutherford's Atomic Model) - ऐल्फा-कणों के प्रकीर्णन प्रयोगों से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर सन् 1911 में रदरफोर्ड ने परमाणु के सम्बन्ध में एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे रदरफोर्ड परमाणु मॉडल कहते हैं। इस मॉडल की विशेषताएँ इस प्रकार हैं।
इस मॉडल की विशेषताएँ
1. परमाणु का समस्त धन आवेश तथा उसका द्रव्यमान परमाणु के भीतर एक अत्यन्त सूक्ष्म भाग में केन्द्रित रहता है जिसे परमाणु का नाभिक कहते हैं। इस नाभिक की त्रिज्या 10-15 मीटर की कोटि की होती है। नाभिक के चारों ओर 10-10 मीटर की कोटि की त्रिज्या के खोखले गोले में इलेक्ट्रॉन वितरित रहते हैं। इलेक्ट्रॉनों का कुल ऋणावेश, नाभिक के धन आवेश के बराबर होता है। 3
परमाणु में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन स्थिर नहीं रहते बल्कि नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कक्षाओं (circular orbits) में चक्कर लगाते रहते हैं। नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार मार्ग में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्री बल (centripetal force) इलेक्ट्रॉन तथा नाभिक के बीच लगने वाले स्थिर वैद्युत आकर्षक बल से सन्तुलित रहता है। इस सन्तुलन के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक में नहीं गिरते।
रदरफोर्ड परमाणु मॉडल की सीमाएँ (Limitations of Rutherford's Model of Atom)
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सीमाएं अपने प्रायोगिक तथ्यों की व्याख्या करने में सफल रहा, फिर भी इस मॉडल में कुछ दोष हैं जिनका विवरण कुछ इस प्रकार है।
1. परमाणु के सम्बन्ध में- रदरफोर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार कक्षाओं (circular orbits) में घूमते रहते हैं। परन्तु क्लार्क मैक्सवैल (Clark Maxwell) के विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त के अनुसार जब किसी आवेशित कण को त्वरित किया जाता है तो वह विद्युत-चुम्बकीय तरंगों (electro-magnetic waves) के रूप में लगातार ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
चूँकि इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कण है अतः इस क सिद्धान्त के अनुसार नाभिक के चारों ओर घूमते हुए इलेक्ट्रॉन लगातार ऊर्जा उत्सर्जित करते रहेंगे जिससे उनकी ऊर्जा धीरे-धीरे कम होती जाएगी। इलेक्ट्रॉन के वृत्ताकार मार्ग की त्रिज्या भी कम होती जाएगी और इलेक्ट्रॉन धीरे-धीरे नाभिक के पास आता जाएगा। अन्त में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा समाप्त हो जाएगी तथा वह नाभिक में गिरकर नष्ट हो जाएगा।
जिससे परमाणु का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। परन्तु ऐसा सम्भव नहीं है, क्योंकि परमाणु स्थायी होता है। इस प्रकार रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल परमाणु के स्थायित्व (stability) की व्याख्या करने में असफल रहा।
रदरफ़ोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियाँ
वर्तुलाकार मार्ग में चक्रण करते हुए इलेक्ट्रॉन का स्थायी हो पाना संभावित नहीं है। कोई भी आवेशित कण गोलाकार कक्ष में त्वरित होगा। त्वरण के दौरान आवेशित कणों से ऊर्जा का विकिरण होगा। इस प्रकार स्थायी कक्ष में घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन अपनी ऊर्जा विकिरित करेगा और नाभिक से टकरा जाएगा। अगर ऐसा होता, तो परमाणु अस्थिर होता जबकि हम जानते हैं कि परमाणु स्थायी होते हैं। रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियां है।