आज हम जानेगे थैलोफाइटा क्या है थैलोफाइटा का उदाहरण थैलोफाइटा वर्ग का पौधा है थैलोफाइटा का वर्गीकरण (DIVISION THALLOPHYTA) शैवाल की परिभाषा
आर्थिक महत्व
शैवाल की खोज किसने की
शैवाल के सामान्य लक्षण
शैवाल का महत्व
शैवाल का वर्गीकरण
थैलोफाइटा (DIVISION: THALLOPHYTA)
थैलोफाइटा की परिभाषा ( Definition of THALLOPHYTA)
थैलोफाइटा का शरीर शरीर जड़, तने पत्तियों में स्पष्ट रूप से विभाजित नहीं होता है। थैलोफाइट्स में जननांग सामान्यतः एककोशिकी होते है जैसे कुछ शैवालों में तो जननांगों के बाहर बन्ध्य कोशिकाओं (sterile cells) का आवरण उपस्थित नहीं होता। इन पौधों में संवहनी ऊतक (vascular tissue) अनुपस्थित होता है।
थैलोफाइटा का वर्गीकरण ( classification of thallophyta)
थैलोफाइट्स में दो समूह-कवक (fungi) तथा शैवाल (algae) को रखा गया था लेकिन व्हीटेकर के वर्गीकरण की पाँच जगत् प्रणाली के अनुसार कवक को एक अलग जगत् फंजाई (kingdom fungi) में रखा गया
शैवाल (Algae)
शैवाल (Algae)
शैवाल थैलोफाइट्स (thallophytes) हैं, ये एक कोशिकीय से लेकर बहुकोशिकीय पौधों के रूप में प्रकृति मैं पाए जाते हैं। क्लोरोफिल पर्णहरिम युक्त सरल एवं संवहन उत्तक रहित स्वपोषी पादप सम्मिलित हैं। इनका शरीर जड़ तना तथा पत्तियों में विभाजित नहीं होता।
शैवाल के सामान्य लक्षण (Features of Algae)
1.शैवाल स्वपोषी होते हैं इनमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। इनमें क्लोरोफिल पाया जाता है।
2. कुछ शैवाल परजीवी (parasitic) होते हैं, उदाहरण- सीफेल्यूरॉस वायरिसेन्स (Cephaleuros virescens)यह परजीवी चाय व कॉफी की पत्तियों में रेड रस्ट ऑफ टी (Red rust of tea) नामक रोग उत्पन्न करता है।
3. ज्यादातर शैवाल जल में पाए जाते हैं यह स्वच्छ जल और समुद्री जल दोनों में पाए जाते हैं स्वच्छ जल में यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगायरा, क्लैमाइडोमोनास शैवाल पाए जाते है।समुद्री जल में एक्टोकॉपर्स, फ्यूकस एवं सारगासम आदि शैवाल पाये जाते हैं।
शैवालों का वर्गीकरण (CLASSIFICATION OF ALGAE)
सर्वमान्य शैवाल वर्गीकरण में शैवाल समुदाय को निम्न 11 वर्गों (classes) में वर्गीकृत किया-
वर्ग (1) क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae)
वर्ग (2) जेन्थोफाइसी (Xanthophyceae)
वर्ग (3) क्राइसोफाइसी (Chrysophyceae)
वर्ग (4) बेसिलेरियोफाइसी (Bacillariophyceae)
वर्ग (5) क्रिप्टोफाइसी (Cryptophyceae) po o
वर्ग (6) डायनोफाइसी (Dinophyceae)
वर्ग (7) क्लोरोमोनेडिनी (Chloromonadineae), वर्ग (8) यूग्लीनिडी (Euglenideae)
वर्ग (9) फियोफाइसी (Phaeophyceae)
वर्ग (10) रोडोफाइसी (Rhodophyceae)
वर्ग (11) मिक्सोफाइसी (Myxophyceae)
वर्ग 1. क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae)
इसमें सभी हरित शैवाल (green algae) सम्मिलित हैं। प्रमुख लक्षण (Main Features)
इस वर्ग के प्रमुख लक्षण
वर्ग के शैवाल सामान्य रूप से ताजे अलवणीय जल (freshwater) में मिलते हैं, किन्तु कुछ शैवाल समुद्र के खारे जल में पाये जाते हैं, जैसे-
वोकैरिया पाइलोबोलॉइडिस (Voucheria piloboloides),
अल्वा (Ulva) तथा कोडियम (Codium)
वर्ग (2) जेन्थोफाइसी (Xanthophyceae)
जेन्थोफाइसी Xanthophyceae इसमें सुनहरे या पीत-हरित शैवाल (golden or yellow green algae) शामिल हैं।
प्रमुख लक्षण (Main Features)
इस के प्रमुख लक्षण अधिकांश जातियाँ अलवणजलीय होती हैं।कोशिका भित्ति सेल्युलोस या पेक्टिन से निर्मित होती है। संचित भोज्य पदार्थ क्राइसोलेमिनेरिन (chrysolaminarin) तथा तेल (वसा) होता है। जनन कायिक, अलैंगिक तथा लैंगिक तीनों प्रकार के होते हैं।
वर्ग 4. बेसिलेरियोफाइसइ Bacillariophyceae)
इसमें डायटम्स, पीत या सुनहरे पीले शैवाल होते हैं।
प्रमुख लक्षण : इस वर्ग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं- 1. प्रमुख वर्णक फ्यूकोजेन्थिन, डायटोजेन्थिन, डायटोमिन व डायएडीनोजेन्थिन होते हैं
2. इनमें पायरीनॉइड का अभाव होता है।
3. सामान्यतः एककोशिकीय होते हैं।
5. प्रकाश-संश्लेषी पदार्थ (संचित भोज्य पदार्थ) वसा एवं वोल्यूटिन के रूप में संचित होता है।
4. पर्णहरिम 'b' के स्थान पर पर्णहरिम 'c' होता है। 6. जनन समयुग्मकी या असमयुग्मकी प्रकार का होता है। उदाहरण - नेवीक्यूला (Navicula), पिन्यूलेरिया
वर्ग 6. क्रिप्टोफाइसी (Cryptophyceae)
इसके अन्तर्गत भूरे, लाल, नीले-हरे, हरे-पीले या इसके हरे रंग के शैवाल सम्मिलित हैं।
प्रमुख लक्षण : इस वर्ग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं- 1. ये ताजे जल एवं समुद्र में पाये जाते हैं।
2. शैवाल की प्रत्येक कोशा में दो बड़े हरितलवक (chloroplasts) पाए जाते हैं।
3. पायरीनॉइड (pyrenoid) पाए जाते हैं। उदाहरण - क्रिप्टोमोनास (Cryptomonas)।
वर्ग 7. डाइनोफाइसी (Dinophyceae)
इसके अन्तर्गत गहरे पीले या भूरे रंग के अथवा लाल रंग के शैवाल सम्मिलित हैं।
प्रमुख लक्षण : इस वर्ग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है- 1. इन शैवालों का संग्रहित भोजन मण्ड एवं तेल (वसा) होता है।
2. अनेक डिस्क के आकार के क्रोमेटोफोर होते हैं। उदाहरण- पेरीडीनियम (Peridinium) आदि।
वर्ग 8.क्लोरोमोनेडिनी(Chloromonadineae)
इसके अन्तर्गत चमकीले हरे रंग के या हरे-पीले रंग के शैवाल को शामिल किया गया हैं। इनके प्रमुख लक्षण इस प्रकार है।
1.इनका संग्रहित भोज्य पदार्थ वसा होता है।
2.इन शैवालों में जैन्थोफिल वर्णक की अधिकता होती है।
3.जनन लम्बवत् विभाजन द्वारा होता है। उदाहरण - वैकुओलेरिया (Vacuolaria)
वर्ग 9. यूग्लीनिडी (Euglenideae)
प्रमुख लक्षण : इस वर्ग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं- 1. इनका आकार सूक्ष्मदर्शीय होता है।
2. इन शैवालों में पर्णहरिम (chlorophyll) पाया जाता है। उदाहरण-Euglena
वर्ग 10. मिक्सोफाइसी (Myxophyceae)
इसके अन्तर्गत नीली-हरी शैवाल सम्मिलित हैं। इस वर्ग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. ये शैवाल एककोशिकीय अथवा तंतुमय होते हैं।
2. इनकी कोशिकाओं का रंग नीला-हरा होता है। ये प्रोकैरियोटिक संरचना होती हैं।
3. कोशिका में फाइकोसाइनिन वर्णक के अतिरिक्त फाइकोइरीथ्रीन पर्णहरिम-a एवं कैरोटिन होता है।
4. इन शैवालों में संग्रहित भोज्य पदार्थ एक विशेष प्रकार का मण्ड होता है और प्रोटीन युक्त साइनोफाइसियन कणों के रूप में पाया जाता है।
5. जनन केवल कायिक या अलैंगिक होता है। लैंगिक जनन का अभाव होता है। उदाहरण - नॉस्टॉक ऑसिलेटोरिया ऐनाबीना
वर्ग 11. क्राइसोफाइसी (Chrysophyceae)
वर्ग के प्रमुख लक्षण-
1. ये शैवाल एककोशीय, बहुकोशीय या मण्डलीय (colonial) होते हैं।
2 कोशिका भित्ति दो प्रतिछादी कपाटों के रूप में होती हैं।
3. संचित भोज्य पदार्थ तेल (वसा) या अघुलनशील कार्बोहाइड्रेट, ल्यूकोसिन (leucosin) के रूप में होता है।
4. इन शैवालों में पर्णहरिम के साथ पीला-हरा वर्णक फाइकोक्राइसिन भी होता है। उदाहरण - क्रिसोस्फीरा
शैवालों का आर्थिक महत्व (ECONOMIC IMPORTANCE OF ALGAE)
शैवालों का आर्थिक महत्व के आधार पर कुछ शैवाल हमारे लिए लाभदायक होते हैं। शैवाल (algae) की कुछ लाभदायक बाते इस प्रकार हैं- शैवाल खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किए जाते है। शैवालों में कार्बोहाइड्रेटस, अकार्बनिक पदार्थ तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन A, C, D, E इनमें मुख्य रूप से पाये जाते हैं।
2. जापान तथा चीन में भूरे शैवाल तथा समुद्री शैवाल से भोज्य पदार्थ प्राप्त किया जाता है। समुद्री शैवाल खनिज पदार्थों के अच्छे स्त्रोत होते हैं।
3. लेमिनेरिया (Laminaria) नामक शैवाल से आयोडीन प्राप्त किया जाता है। इस शैवाल का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों को घेघा (goitre) नामक रोग नहीं होता हैं।
शैवाल का उपयोग व्यवसाय में (Algae use in Industry)
डायटम्स की कोशिका भित्ति में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2) अधिक मात्रा में जमा रहता है। जीवित व मृत डायटम्स तथा उनके जीवाश्म, समुद्र की गहराई में जमा होते रहते हैं तथा गहरी चट्टान के रूप में एकत्र होकर डायटोमेशियस मृदा (diatomaceous earth) बनाते हैं। यह 1500°C तक का ताप सहन कर लेती है। इसके निम्नलिखत उपयोग होते हैं-
(i) Liquid nitroglycerine के अवशोषक (absorbent) के रूप में।
(ii) बॉयलर तथा वात भट्टी में ऊष्मारोधी के रूप में।
(iii) कॉच तथा पोर्सिलेन के निर्माण में।
(iv) Metal paint, वॉर्निश, पॉलिश तथा दूथपेस्ट के निर्माण के लिए अपघर्षक (abrasive) के रूप में।
(v) चीनी मिलों में जीवाणु छन्नों के रूप में।
thallophyta in hindi