DNA fingerprinting notes मनुष्य में अलग विशेष तरह (unique) का डी०एन०ए० अंगुलीछाप (finger print) होता है। अंगुलीछाप केवल अंगुलियों के सिरों पर मिलता है। इन्हें सर्जरी द्वारा बदला जा सकता है। DNA फिंगर प्रिंट व्यक्ति की प्रत्येक कोशिका, ऊतक एवं अंग में एक समान होता है और इस
में किसी उपचार से बदला नहीं जा सकता है। यह किसी जीव विशेष की DNA पहचान है तथा यह इसलिए सम्भव है, क्योंकि दो जीवों में कभी भी भाग की पुनरावृत्ति तथा डी०एन०ए० क्रम की प्रतियों की संख्या समान नहीं होती है।इस लिए इस इस विशेषता को डी०एन०ए० प्रोफाइलिंग कहते हैं। इसीलिए दो जीवों के फिंगर प्रिंट्स में अंतर होता है। डीएनए फिंगरप्रिंटिंग की खोज किसने की
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग की परिभाषा
DNA Finger Prints किसे कहते है DNA अनुक्रम (sequence) के स्थिर रहने के कारण फिंगर प्रिंट की तरह होता है। अलग प्रकार के डी०एन०ए० अनुक्रमों का कुछ अध्ययन करने से एक व्यक्ति की स्पष्ट पहचान दसरे व्यक्ति से होती है। जैसा कि कहा जाता है कि डी०एन०ए० फिंगर प्रिंटिंग एक व्यक्ति की पहचान का विश्वसनीय माध्यम है। यह अंगुलियों के सिरों की फिंगर प्रिंट्स से भिन्नता दर्शाता है, क्योंकि डी०एन०ए० व्यक्ति की किसी भी कोशिका से प्राप्त किया जा सकता है। डी०एन०ए० में कोई परिवर्तन न होने से इसका अध्ययन अति महत्वपूर्ण हो जाता है।
DNA Finger Prints का उपयोग (Applications of DNA Finger Prints)
इसका उपयोग कानूनी रूप से तथा वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त कर चुका है- 1. डी०एन०ए० अनुक्रम (DNA sequencing) की व्याख्या बच्चे की पैतृकता (माता-पिता) सम्बन्धी विवाद का स्पष्ट निर्णय करने में मदद करता है अर्थात् इसके आधार पर बच्चे के माता-पिता की पहचान DNA Finger Printing की सहायता से सरलतापूर्वक की जा सकती है।
2. खूनी मुजरिमों (criminals) की पहचान करके कानूनी निर्णय में सहायक है। फोरेन्सिक प्रयोगशालाओं में अपराधियों की पहचान करने में DNA Finger Printing की सहायक ली जाती है।
3. दो मनुष्यों के परस्पर शारीरिक सम्बन्धों को ज्ञात करने में सहायक होता है।
4. बलात्कारी/हत्यारे की पहचान कराने में सहायक होता है। इसके लिए डी०एन०ए० के केवल एक सूक्ष्म सैम्पल की आवश्यकता होती है, जो अपराधी के मूत्र, लार ,खून, वीर्य, बालों, पसीना आदि से प्राप्त किया जा सकता है। अनेक वर्ष पुराने सैम्पल भी डी०एन०ए० प्राप्त करने के लिए उपयोगी होते है ।
5. जीव-वैज्ञानिक इसका उपयोग विभिन्न जातियों के परस्पर सम्बन्धों एवं प्रजातीय वर्गों की पहचान करने में इस तकनीक का प्रयोग करते हैं।
6.यह तकनीक मानव स्वास्थ्य के अनेक महत्त्वपूर्ण अनुसंधानों में सहायक है।
7. डी०एन०ए० विश्लेषण द्वारा वंशागत मानव रोगों जैसे- वर्णान्धता, मधुमेह आदि का पता लगाया जा सकता है।
8. पुलिस व जाँच एजेंसी द्वारा शक की कड़ी (links) की पुष्टि के लिये इसका उपयोग किया जाता है।
प्रयोगशाला में डी०एन०ए० फिंगर प्रिंट्स बनाने की विधि
(Laboratory Procedure for Preparation of Finger Printing)
इस प्रक्रिया में मुख्य 5 स्टेप सम्मिलित हैं-
1. DNA का विलगन (Isolation of DNA): DNA को मनुष्य की कोशिका या ऊतक से पृथक करके प्राप्त किया जाता है। इसकी अल्प मात्रा ही पर्याप्त होती है। इसके लिए रुधिर, वीर्य, त्वचा या बाल के ऊतक अधिक उपयोगी होते हैं।
2. डी०एन०ए० को काटना, साइज बनाना व छाँटना (Cutting, Sizing and Sorting of DNA):
विशिष्ट प्रकार के प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिएज एंजाइम (restriction endonuclease enzyme) को आण्विक कैंची कहते हैं। यह एन्जाइम डी०एन०ए० के विशिष्ट भाग अर्थात् डी०एन०ए० अनुक्रम GAATTC को काटकर छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित कर देता है। कटे हुए टुकड़े, छानने की तकनीक अर्थात् इलेक्ट्रोफोरेसिस (electrophoresis) द्वारा छानकर पृथक कर लेते हैं।
3. पृथक्कृत डी०एन०ए० खण्डों का संश्लेषित झिल्ली पर स्थानान्तरण (ब्लॉटिंग): पृथक्कृत DNA खण्डों को नाइलॉन शीट पर या नाइट्रोसेलुलोज पर सदर्न ब्लॉटिंग विधि (southern blotting technique) द्वारा स्थानान्तरित कर देते हैं और रातभर छोड़ देते हैं। ताकि जैल में डी०एन०ए० के खण्ड भली प्रकार फूल जायें। इस प्रक्रिया में डी०एन०ए० खण्डों की फिल्टर या नाइलॉन शीट पर प्रतिलिपि बनाते समय जैल पर उपस्थित खण्डों की परिरक्षित (preserve) स्थिति होती है।
प्रोब का VNTRs के साथ बन्धना (Binding of Probe with VNTRs) :
डी०एन०ए० खण्डों को फिल्टर पेपर द्वारा जेल से पृथक कर लिया जाता है। इस फिल्टर पेपर को कुछ रसायनों के सम्पर्क में लाया जाता है जिसमें DNA अणु के दोनों सूत्रों के बीच H-बन्ध टूट जाते हैं और दोनों सूत्र अलग-अलग हो जाते हैं। अब एक सूत्रीय DNA को विशेष रूप से तैयार किए गए रेडियोधर्मिता से चिन्हित एकसूत्री DNA, जिसे प्रोब (probe) भी कहते हैं, से मिला दिया जाता है। ये प्रोब्स इस प्रकार तैयार किए जाते हैं कि ये DNA की VNTRS श्रृंखला के साथ बेस जोड़े (base pairs) बना सकें। इस प्रकार एक प्रोब, DNA की पुनरावृत श्रृंखला (repeat VNTR) के साथ जुड़ जाते हैं। उदाहरणार्थ, यदि DNA खण्ड में तीन VNTRS है तो उसके साथ तीन प्रोब्स जुड़ेंगे क्योकि सभी कोशिकाओं के पूरे DNA में पुनरावृत्ति अनुक्रम नहीं होता, अतः अधिकांश खण्डों के साथ प्रोब जुड़ ही नहीं पाते। मान (
का 5. डी०एन०ए० फिंगर प्रिंट (DNA Fingerprint) :
अन्तिम फिंगर प्रिंट तभी बनता है जब कई प्रोब प्रयोग किये जाते हैं। अन्त में DNA खण्डों को एक एक्स-रे फिल्म पर लिया जाता है। इस फिल्म में सफेद व काली पट्टियाँ आती है। काली पट्टियों का यह विशिष्ट क्रम (banding pattern) ही DNA फिंगरप्रिन्ट है। अलग-अलग प्राणियों में यह प्रिन्ट भिन्न-भिन्न होता है।
डी०एन०ए० अंगुलीछापी या फिंगर प्रिंटिंग का आधार (Basis of DNA Finger Printing)
डी०एन०ए० में उपस्थित विशिष्ट क्षार युग्मों का समूह बार-बार है पुनरावृत्ति करता है। यह डी०एन०ए० पुनरावृत्ति (DNA replication) कहलाता है।
इस पुनरावृत्ति डी०एन०ए० को जीनोमिक डी०एन०ए० के की ढेर से अलग कर लिया जाता है, इसके लिये घनत्व प्रवणता अपकेन्द्रीकरण (density gradient centrifugation) तकनीक का प्रयोग किया जाता है। डी०एन०ए० ढेर एक बहुत बड़ा शिखर निर्मित करता है, साथ में अन्य छोटे शिखर निर्मित होते हैं, जिसे अनुषंगी डी०एन०ए० (satellite DNA) कहते हैं। अनुषंगी डी०एन०ए० को क्षार घटकों, खण्डों की लम्बाई व पुनरावृत्ति इकाइयों के आधार पर छोटे-बड़े अनुषंगी में वर्गीकृत करते हैं।
डी०एन०ए० अनुक्रम साधारणतः किसी प्रोटीन का कूट लेखन नहीं करते हैं, किन्तु मानव जीनोम में इनकी उपस्थिति अधिकतर भागों में होती है और ये उच्च श्रेणी की बहुरूपता प्रदर्शित करते हैं। इन्हीं से मानव जीनोम में बदलाव आ जाता है।इसीलिए दो व्यक्ति आपस में एकसमान नहीं होते हैं। एक डी०एन०ए० के सूक्ष्म खण्डों में कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो डी०एन०ए० फिंगर प्रिंटिंग के लिये लाभदायक होते है।
ये लक्षण निम्नवत् होते हैं-
1. पुनरावृत्त अनुक्रम अत्यन्त बहुरूपता दर्शाते हैं, अतः ये डी०एन०ए० फिंगर प्रिंटिंग (DNA finger printing) में अति महत्त्वपूर्ण/उपयोगी होते हैं।
2. पुनरावृत्त अनुक्रम किसी प्रोटीन को प्रायः कोडित नहीं करते हैं।
3. व्यक्ति विशेष की सभी कोशिकाएँ समान बहुरूपता दर्शाती है। 4. माता-पिता से बच्चों में बहुरूपता स्थानान्तरित होती है अर्थात् यह एक वंशागत लक्षण (hereditary character) होता है।
DNA Profiling
Genetic Identification
Sample Collection
DNA Extraction
Polymerase Chain Reaction (PCR)
Gel Electrophoresis
Short Tandem Repeats (STRs)
Variable Number Tandem Repeats (VNTRs)
DNA Fragments
Restriction Enzymes
Forensic Science
Paternity Testing
Genealogy
Band Patterns
Genetic Markers
Biological Evidence
Individual Identification
Genetic Diversity
Medical Research
Unique DNA Patterns