सूक्ष्म जीव क्या है तथा सूक्ष्म जीव किसे कहते हैं
ऐसे सूक्ष्म आकार कि संरचना जो नग्न आँखों से नहीं दिखाई देते हैं, सूक्ष्मजीव कहलाते हैं। इनका विस्तृत अध्ययन केवल अच्छी तकनीकी के इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से ही सम्भव होता है। सूक्ष्मजीव सर्वव्यापी होते हैं अर्थात् ऐसे स्थानों पर भी पाये जाते हैं जहाँ जीवन की सम्भावना न्यूनतम होती हकै। सूक्ष्मजीव मृदा, जल, वायु, खाद्य पदार्थों, जन्तु एवं पादपों के शरीर में पाये जाते हैं। सूक्ष्मजीव प्रत्यक्ष (direct) या अप्रत्यक्ष (indirect) रूप से मानव जीवन के साथ सम्बद्ध रहते हैं। सूक्ष्मजीवों का अध्ययन पादप एवं जन्तुओं दोनों में ही करते हैं।
सूक्ष्म जीवों के गुण और विशेषताएं
सूक्ष्मजीव मृदा में गहराई तक, बर्फ की परतों के कई मीटर नीचे तक, गर्म पानी के झरनों में, तापीय चिमनी में 100°C ताप तक तथा उच्च अम्लीय वातावरण में भी पाये सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं। प्रमुख सूक्ष्मजीवियों में प्रोटोजोआ, जीवाणु, कवक, सूक्ष्मदर्शी पादप, शैवाल, विषाणु, वाइरॉइड, प्रियॉन (prions), माइकोप्लाज्मा, फाइटोप्लाज्मा भी प्रोटीनीय संक्रमित कारक है। सूक्ष्मजीव मानव के लिए हानिकारक व लाभदायक दोनों ही प्रकार के होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव जन्तुओं, पादपों एवं मानव में रोग उत्पन्न करते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव हमारे भोजन, फल एवं सब्जियों को खराब/संदूषित कर देते हैं, इसके विपरीत कुछ सूक्ष्मजीव हमारे घर, खेतों में, अनेकों उद्योगों में, औषधियों के निर्माण में, जैव उर्वरक के रूप में, बायोगैस के उत्पादन द्वारा ऊर्जा प्रदान करने में तथा वाहितमल के उपचार में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
सूक्ष्म जीवों का उपयोग
मानव कल्याण में सूक्ष्मजीवियों का योगदान निम्नलिखित हैं- 1. कृषि क्षेत्र में जैव उर्वरक के रूप में सूक्ष्मजीवो का उपयोग। 2. ऊर्जा उत्पादन या बायोगैस में सूक्ष्मजीवो का उपयोग।
3. सूक्ष्मजीवो का जैव-नियंत्रक के रूप में उपयोग।
4. सूक्ष्मजीवो का औषधि उत्पादन में उपयोग।
5. सूक्ष्मजीवों का अम्ल तथा एन्जाइम्स के निर्माण में उपयोग 6. सूक्ष्मजीवो का घरेलू खाद्य उत्पादों के निर्माण में उपयोग। 7. औद्योगिक उत्पादन में सूक्ष्मजीवो का उपयोग।
8. वाहितमल उपचार में सूक्ष्मजीवो का योगदान।
कृषि के क्षेत्र में सूक्ष्म जीवों का उपयोग
ये जीवाणु प्रोटीन युक्त पदार्थों (proteinaceous substances) को अमोनिया में परिवर्तित कर देते हैं, जो जल (H₂O) एवं कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की उपस्थिति में अमोनियम कार्बोनेट का निर्माण करती है। कुछ दालों की फसलों (cereal crops) में अमोनिया यौगिकों का उपयोग नाइट्रोजन के स्रोत के रूप में होता है। कुछ प्रमुख अमोनीकारक जीवाणु वैसिलस माइकोयडिस (Bacillus mycoides) वै. मोसस (B. ramosus) तथा बेसिलस बुल्गेरिस हैं। नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणु ये स्वतंत्रजीवी, वायवीय अथवा अवायवीय जीवाणु हैं, जो मृदा में पाये जाते हैं। इनका मुख्य कार्य वायु में उपस्थित नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के यौगिकों में परिवर्तित करना है। इसीलिए इन्हें असहजीवी स्वतंत्रजीवी रहते हैं। ये जीवाणु मृदा के कणों के मध्य उपस्थित नाइट्रोजन का अवशोषण करके उसे कार्बनिक नाइट्रोजनी यौगिको में परिवर्तित कर देते है। कुछ जीवाणुओं की मृत्यु के पश्चात् उनके अपघटन से मुक्त अमोनिया जीवाणु के सहयोग से पहले नाइट्राइट में तत्पश्चात नाइट्रेट में परिवर्तित हो जाती है। पौधे इसका उपयोग करते हैं। लेग्यूम राइजोबियम सहजीवन फसलों के लिए नाइट्रोजन एक महत्त्वपूर्ण तत्व है। कृषि उत्पादन में इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। कुछ पौधे, उदाहरण- लेग्युमिनोसी कुल के पौधे (जैसे- चना, मटर) अपनी खपत से अधिक मात्रा में नाइट्रोजन का उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं। इनकी विभिन्न आकृति की जड़ ग्रन्थियों (root nodules) में पाये जाने वाले जीवाणु राइजोबियम लेग्युमिनोसेरम (Rhizobium leguminosarum) सहजीवन व्यतीत करते है और वायु से मुक्त नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके नाइट्रोजन यौगिकों का निर्माण करते हैं। इससे भूमि की उर्वरता (fertility) में वृद्धि होती है।
सूक्ष्म जीवों का आर्थिक महत्व
घरेलू भोज्य उत्पादों में जीवाणुओं का आर्थिक महत्व एवं यीस्ट कोशिकाओं का योगदान अभूतपूर्व है और प्राचीन काल से ही इसकी विस्तृत जानकारी मानव समाज को है। कुछ प्रमुख घरेलू उत्पाद जिनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग होता है, निम्नलिखित है-
1. पनीर (Paneer or Cheese) : पनीर का निर्माण दूध का लैक्टिक अम्ल द्वारा किण्वन कराने पर होता है। विभिन्न प्रकार के पनीर के निर्माण के लिए स्ट्रैप्टोकोकस तथा लैक्टोबेसिलस लेक्टिस (Streptococcus and Lactobacillus lactis) की विभिन्न जातियों का योगदान होता है। कुछ कवक, उदाहरण- पेनिसिलियम कोमेमबर्टी (Penicillium comemberti) तथा पेनिसीलियम रॉकफोटों (Penicillium roqueforti) का उपयोग भी पनीर निर्माण में होता है। पनीर की विभिन्न किस्मों का गठन, संरचना, सुगंध एवं स्वाद अलग-अलग होते है। प्रत्येक किस्म के पनीर के लिए अलग जीवाणु प्रजाति का उपयोग किया जाता है।
2. दही या योगार्ट (Curd or Yogurt) : लैक्टिक अम्ल जीवाणु दूध में उपलब्ध केसीन नामक प्रोटीन की छोटी-छोटी बूँदो को एकत्रित करके दही बनाने में सहायक होते हैं। दूध से दही निर्मित करने के लिए थोड़ा-सा जामन (पूर्व में संग्रहित दही की थोड़ी मात्रा) लगाकर भली प्रकार मिलाकर 5-6 घंटो के लिए खुली जगह पर रख देते हैं। जामन में दो प्रकार के सूक्ष्मजीव स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफाइलस (Streptococcus thermophilus) एवं लैक्टोबेसिलस वल्गेरिकस (Lactobacillus vulgaricus) उपस्थित होते है। इन सूक्ष्मजीवियो का कार्य अलग-अलग होता है, जैसे- स्ट्रैप्टोकोकस अम्ल का निर्माण करता है तथा लैक्टोबैसिलस सुगंध प्रदान करता है। दहाँ को मचने से मक्खन का निर्माण होता है।
डबल रोटी के निर्माण में (Use in Bread Formation) : डबल हरोटी (hread) बनाने के लिए यीस्ट (सेकेरोमाइसीज सेरेविली Sucharomyces cerevisiae) द्वारा वायु की उपस्थिति में गीले मैदा/आटे में खमीर उठा देते हैं। यीस्ट आटे/मैदा में उपस्थित शर्करा का किण्वन करके CO2 का उत्पादन करती है। CO₂ जब आटे/मैदा से बाहर निकलती है तो आटे/मैदा को फुला देती है तथा छिद्रों का निर्माण करती है। अतः डबलरोटी सरंध्री (porous) हो जाती हैं।
सक्ष्मजीवों का औषधि निर्माण में उपयोग (Microbes Used in Medicinal Industry)
औषधीय उत्पादों में सूक्ष्मजीवों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी सक्रियता से अनेक प्रतिजैविक औषधियों का निर्माण व अन्य औषधियों का संश्लेषण होता है। प्रतिजैविक औषधियो (antibiotic medicines) का निर्माण जीवाणु की प्रमुख प्रजातियों की क्रिया द्वारा होता है, ऐलेक्जेंडर फ्लेमिंग (Alexander Fleming) ने सन् (1928) में स्टेफाइलो कोकस जीवाणु की क्रिया द्वारा सर्वप्रथम पेनिसिलिन एण्टीबायोटिक की उदाहरण- बैसिलस ब्रेविस (Bacillus brevis) से थाइरोथ्रिन प्रतिजैवि (thyrothrin antibiotic), बैसिलस सबटिलिस (Bacillus subtilis) से सबटिलिन एवं स्टेप्टोमाइसिन की अनेक किस्मों की प्रतिजैविक औषधियों का निर्माण होता है। प्रतिजैविक ऐसे पदार्थ है, जो रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों को वृद्धि एवं उनकी उपापचयिक क्रियाओं की रोकथाम करते है और प्रतिजैविकों का नियमित सेवन सूक्ष्मजीवों को पूर्ण रूप से नष्ट भी करता है। सूक्ष्मजीव (जीवाणुओं) द्वारा अनेक घातक रोग, जैसे- तपेदिक, डिप्थीरिया, न्यूमोनिया एवं टाइफाइड आदि उत्पन्न होने पर चिकित्सक की सलाह पर किसी प्रतिजैविक, जैसे- टेरामाइसिन (terramycin), ऑरोमाइसिन (auromycin) या स्ट्रेप्टोमाइसिन (streptomycin) का सेवन करते हैं।विभिन्न औषधियों के निर्माण में सूक्ष्मजीवो का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। इनका उपयोग असंख्य जीवनोपयोगी औषधियो के निर्माण में किया जाता है, जो विभित्र रोगों की रोकथाम एवं निदान में प्रयुक्त होती हैं। प्रतिजैविक (antibiotics), स्टोरॉयड (steroids) एवं वैक्सीन (vaccines) इनके प्रमुख उदाहरण है। अनेकों ऐसे मानव प्रोटीन हैं जिनका संश्लेषण डो०एन०ए० पुनर्योगज तकनीक (DNA recombinant technique) द्वारा किया जा रहा है। मानव प्रोटीन के उत्पादन में जीवाणुओं को महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कुछ सूक्ष्मजीवो, जैसे- धमॉएनएरोबैक्टर एथेनॉलिक्स (Thermoanaerobacter ethanolicus) एवं जाइमोमोनास मोबिलिस (Zymomonas mobilis) का उपयोग एथेनॉल उत्पादन में किया जाता है।