भारत की बहु दलीय व्यवस्था

बहु दलीय व्यवस्था


 राजनीतिक दल के तीन प्रमुख भाग हैं-

  • सक्रिय सदस्य
  • नेता
  • समर्थक
दल समान राजनीतिक विचारों और उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जब कुछ लोग मिलकर यह समूह या संघ का निर्माण कर लेते हैं तो ऐसा समूह या संघ राजनीतिक दल कहलाता है। दूसरे शब्दों में, "राजनीतिक दल व्यक्तियों का वह संगठित समूह है जो अपने विचारों व सिद्धान्तों को कार्यान्वित करने के लिए शासन-सत्ता पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहता है। 

 

  • एडमंड बर्क के अनुसार- "राजनीतिक दल ऐसे लोगों का एक समूह होता है जो किसी सिद्धान्त पर एकमत होकर अपने सामूहिक प्रयत्नों द्वारा जनता के हित में काम करना चाहते हैं।" 
  • ब्राइस के अनुसार- "राजनीतिक दल अनिवार्य है। कोई भी स्वतंत्र देश उनके बिना नहीं रह सका है। किसी व्यक्ति ने यह नहीं दिखाया है कि लोकतन्त्र इसके बिना कैसे चल सकता है।" 
  • गिलक्राइस्ट के अनुसार- "राजनीतिक दल नागरिकों का एक संगठि समूह है, जिनके समान राजनीतिक विचार होते हैं और जो एक राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करते हुए सरकार पर नियंत्रण करने की चेष्टा करते हैं। 
  • प्रो० लास्की के अनुसार- "राजनीतिक दल से हमारा अभिप्रान नागरिकों के उस संगठित समूह से है जो एक संगठन के रूप में कार्य करते है।



लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों का महत्त्व 

 शासन में राजनीतिक दल रीढ़ की हड्डी के समान हैं। हूवर के अनुसार-"प्रजातंत्र रूपी यंत्र को संचालित करने हेतु राजनीतिक दल ईंधन (तेल) का कार्य करते हैं।" प्रजातन्त्रीय शासन में जनता प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन में भाग लेती है और ये प्रतिनिधि राजनीतिक दलों के सदस्य होते हैं। लीकॉक के अनुसार, "केवल दलीय व्यवस्था ही ऐसी वस्तु है जो लोकतंत्रीय शासन को सम्भव बनाती है।" 


  •  राजनीतिक दल स्वस्थ एवं श्रेष्ठ जनमत का निर्माण करते हैं। 
  • राजनीतिक दल निर्वाचनों का संचालन करते हैं। 
  • राजनीतिक दल सभी वर्गों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
  • राजनीतिक दल अपने मतों एवं सिद्धान्तों का प्रचार करते हैं। 
  •  सरकार का निर्माण करते हैं। 
  •  विपक्षी दल सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं। 
  • सरकार की स्वेच्छाचारिता पर नियंत्रण रखते हैं। दल-प्रणाली

दल-प्रणाली के विभिन्न प्रकार 

दल-प्रणाली के मुख्य रूप से तीन प्रकार प्रचलित है- 

1. एकदलीय प्रणाली- जिन देशों में केवल एक ही राजनीतिक दल कार्य करता है अथवा जिस देश में शासन की नीतियों पर एक ही राजनीतिक दल का नियंत्रण होता है, वहाँ एक दलीय प्रणाली होती है। चीन, उत्तरी कोरिया आदि इस व्यवस्था के उदाहरण हैं।

 2. द्विदलीय प्रणाली-जब किसी देश में मुख्य रूप से दो राजनीतिक दल वहाँ की राजनीति में प्रभावी होते हैं, तो वहाँ द्विदलीय प्रणाली होती है। इस व्यवस्था में एक दल की सरकार होती है तो दूसरा दल मुख्य विपक्षी के रूप में होता है। दो दलीय व्यवस्था वाले देशों में दो से अधिक राजनीतिक दलों के गठन पर कोई विधिक प्रतिबन्ध नहीं होता। इंग्लैण्ड द्विदलीय व्यवस्था का उदाहरण है।

3. बहुदलीय प्रणाली-यदि किसी देश की राजनीति में कई दल कार्य करते हैं तो वहाँ वहुदलीय प्रणाली होती है। फ्रांस और भारत इस प्रणाली के उदाहरण हैं। हमारे देश में तो राजनीतिक दलों की बाढ़-सी आ गयी है। 

भारत में बहुदलीय व्यवस्था 

भारत में बहुदलीय व्यवस्था को अपनाया गया है। स्वतंत्रता के बाद से हमारे देश में सिद्धान्ततः बहुदलीय प्रणाली प्रचलित है, किन्तु यदि हम 1977 के लोकसभा निर्वाचन के पूर्व की राजनीतिक स्थिति का अध्ययन करें तो हम अपने देश की प्रणाली को एक दल की प्रधानता वाली बहुदलीय प्रणाली कह सकते हैं। कारण कि इस अवधि में भारत में कई दल स्थापित रहे, किन्तु समग्र भारतीय राजनीति पर केवल कांग्रेस का प्रभुत्व ही स्थापित रहा। 1977 में पहली बार केन्द्र में कांग्रेस के स्थान पर जनता पार्टी की सरकार स्थापित हुई। यह दूसरी बात है कि सरकार राजनीतिक दलों के विखराव के कारण स्थायी नहीं सिद्ध हुई। कालान्तर में 1980 व 1984 के आम चुनावों में पुनः कांग्रेस का वर्चस्व स्थापित हो गया। 1989 के चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ। 1996 के चुनाव में भारत में एकदलीय व्यवस्था का प्रभाव पूर्ण रूप से समाप्त हो गया। 1999 ई0 में हुए 13वीं लोकसभा के आम चुनाव में किसी भी दल को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। चुनाव- परिणाम ने भारत में बहुदलीय व्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान किया है। यही स्थिति 14वीं लोकसभा चुनाव में भी बनी रही। चुनाव के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर संयुक्त प्रगतिशील (यूपीए) गठबन्धन का गठन हुआ और सरकार का निर्माण हुआ। मई, 2009 में हुई 15वीं लोकसभा चुनाव में एक बार फिर (यूपीए) द्वारा सरकार का गठन हुआ जिसके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। मई, 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनाव में केन्द्र में एन.डी.ए. की सरकार बनी तथा नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।


भारत के प्रमुख राजनीतिक दल भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के दलों का अस्तित्व है-

 (1) राष्ट्रीय दल, तथा (2) क्षेत्रीय दल

राष्ट्रीय दल-राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का प्रभाव सम्पूर्ण देश में होता है। निर्वाचन आयोग द्वारा दी गयी व्यवस्था के अनुसार किसी दल को राष्ट्रीय दल की मान्यता तभी प्राप्त होगी, जबकि वह लोकसभा अथवा राज्य विधानसभा के सामान्य निर्वाचन में कम-से-कम चार राज्यों में 6% मत प्राप्त कर ले या लोकसभा की कुल सदस्य-संख्या के 2% स्थान प्राप्त कर ले, किन्तु ये स्थान कम-से-कम तीन राज्यों से प्राप्त किये गये हों। हमारे देश के राष्ट्रीय राजनीतिक दल इस प्रकार हैं- 


नाम                                   चुनाव चिह्न            स्थापना
 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस        हाथ का पंजा      1885 ई0

भारतीय जनता पार्टी         कमल का फूल       1980 ई0

मार्क्सवादी दल          हथौड़ा, हँसिया, सितारा  1964 ई0 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी   बाली और हंसिया    1922 ई0

बहुजन समाज पार्टी             हाथी                1984 ई0 

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी         दीवार घड़ी           1999 ई०








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